Coronavirus: विशेषज्ञों के मुताबिक, जब किसी देश में कोरोना वायरस संक्रमण के बाद अगर हर्ड इम्यूनिटी (Herd Immunity) हासिल हो जाती है तो तेज़ी से फैल रहे संक्रमण का सिलसिला टूट जाता है। नतीजतन रोज़ नए मामलों की संख्या में कफी कमी आने लगती है। यह कमी लगातार करीब तीन महीने तक जारी रहती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि एक बार संक्रमण होने के बाद हर व्यक्ति के शरीर में एंटीबॉडी विकसित होती हैं, जो कम से कम तीन महीने तक प्रभावी रहती हैं। इन तीन महीनों के समय को ही एक्सपर्ट्स कूलिंग पीरियड कहते हैं। इस समय में नए मामले लगातार कम होते चले जाते हैं,
हालांकि, जैसे ही लोगों के शीरीर में एंटीबॉडी का असर कम या ख़त्म होता है, वो फिर संक्रमित होने लगते हैं और इसी के साथ संक्रमण के नए दौर की शुरुआत होती है। ऐसा कई देशों में देखा जा रहा है।
भारत में अभी तक हर्ड इम्यूनिटी नहीं हुई है और अच्छी बात यह है कि जब तक यहां संक्रमण के नए दौर की शुरुआत होगी, तब तक शायद कोरोना वायरस की वैक्सीन उपलब्ध हो जाए। ऐसे में इस वक्त ज़रूरी है कि सभी लोग अपनी इम्यूनिटी को मज़बूत और बढ़ाने का प्रयास करें। साथ ही इससे बचने की सभी सावधानियां बरतें, जैसे घर से निकलने पर मास्क पहनें, शारीरिक दूरी बनाए रखें, हाथों को दिन में कई बार धोएं और आसपास साफ सफाई का खास ध्यान रखें। सावधानी ही इस वायरस से बचने का सबसे अच्छा तरीका है।
भारत में हर्ड इम्यूनिटी
हाल ही में पूरे देश में हुए सीरो सर्वे के मुताबिक जितने संक्रमित लोगों की संख्या सामने आती है, वास्तव में ये संख्या 80 गुना ज़्यादा होती है। इसका मतलब ये हुआ कि अगर आज कुल संक्रमितों की संख्या 50 लाख से ज़्यादा है, तो वास्तव में संख्या करीब 50 करोड़ हो सकती है, यानी देश की आधी आबादी अभी तक कोरोना से संक्रमित हो चुकी है। इसका मतलब ये भी है कि देश हर्ड इम्यूनिटी के करीब पहुंच रहा है।