आज की युवा पीढ़ी में ऐसे लोगों की संख्या बहुत सीमित है, जिनके लिए पर्याप्त नहीं लेना अच्छी सेहत के लिए जरूरी चीजों में शामिल होता है। नहीं तो ज्यादातर युवा 7 से 8 घंटे की जरूरी नींद भी नहीं लेते हैं। वहीं, कुछ ऐसे हैं जो सिर्फ आलस के चलते बेड पर पड़े रहते हैं। लेकिन यह स्थिति नींद पूरी करने में किसी भी तरह सहायक नहीं होती है।
इसके साथ ही उन युवाओं की भी बड़ी संख्या है, जो घंटों लैपटॉप, कंप्यूटर, मोबाइल और टीवी के साथ व्यस्त रहते हैं। इस कारण उनके ब्रेन को सही समय पर नींद के सिग्नल नहीं मिल पाते हैं। साथ ही उनके ब्रेन में हॉर्मोनल डिसबैलंस हो जाता है। जो इंसोमनिया (अनिद्रा) की वजह बन जाती है।
जो लोग नींद को लेकर बहुत अधिक लापरवाही दिखाते हैं और कभी पूरी नींद नहीं लेते हैं। उन्हें अक्सर शारीरिक और मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जिनमें
-थकान
– तनाव
– उलझन बनी रहना
– मूड खराब रहना- अनिर्णय की स्थितियों का सामना करना
-आत्मविश्वास की कमी होना जैसी मानसिक और भावनात्मक समस्याएं भी शामिल हैं।
जिन लोगों को स्मोकिंग करने की आदत होती है, वे भी अनिद्रा की समस्या से जूझते हैं।
-बहुत अधिक मात्रा में चाय-कॉफी यानी कैफीन का सेवन करनेवाले लोग भी नींद की कमी से जूझते हैं।
-नाइट शिफ्ट में काम करनेवाले ज्यादातर लोगों की बायॉलजिकल क्लॉक डिस्टर्ब हो जाती है, इस कारण वे भी नींद की कमी की समस्या से जूझते हैं।
-इसके साथ ही बिस्तर पर लेटकर घंटों तक मोबाइल का उपयोग करनेवाले लोगों का ब्रेन भी नींद के लिए जरूरी मेलाटॉनिन हॉर्मोन का उत्पादन सही मात्रा में नहीं कर पाता है।यदि आप चाहते हैं कि आप या आपका कोई प्रियजन कम उम्र में इस जानलेवा अनुभव से ना गुजरे तो बेहतर होगा कि पूरा परिवार एक ऐक्टिव और हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाए।