दरभंगा में राजद नेता संजय सिंह का कहना है कि “नीतीश कुमार की सरकार शुरूआत से ही मिथिला के साथ कपट करती आ रही है। दरअसल इस सरकार की नीयत में ही खोट है। मिथिला के नाम से बैंक हो यह बात भी इस सरकार को बर्दाश्त नहीं। बैंक के आगे से मिथिला हटा लिया।“ मिथिला और मैथिली से ही नीतीश कुमार को नफरत है। यहीं वजह है कि मखाना जिसके बारे में दुनिया जानती है कि इसकी खेती सिर्फ और सिर्फ मिथिला क्षेत्र में होती रही है। उसकी जीआई टैगिग बिहार के नाम पर करने की साज़िश रच दी गई। हमने शुरू से ही इसका विरोध किया । हमारी लड़ाई इस बात को लेकर ही थी कि मखाना की जीआई टैगिग मिथिला के नाम पर हो। मखाना को मिथिला मखान के नाम पर जीआई टैगिग के लिए सभी मिथिलावासियों ने मुहिम चलाया। इस मुहिम में साथ देने के लिए रजनीकांत पाठक, अनूप मैथिल, आदित्य मैथिल, एमएसयू के समेत लाखों-करोड़ों मिथिलावासी बधाई के पात्र हैं। बिहार सरकार के कुचक्र का पर्दाफाश हुआ कि मिथिला के साथ कैसे भेदभाव बरता जा रहा है।
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श्री सिंह की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि अभी तो डबल इंजन की सरकार है। फिर यहां जदयू भाजपा के सांसद औऱ मंत्रीगण इस मुद्दे पर मौन रहे। अभी हमारी लड़ाई जारी रहेगी। प्राथमिक शिक्षा में मैथिली को स्थान दिलवाना भी हमारा लक्ष्य है। यह कितने दुर्भाग्य की बात है कि मिथिला में मैथिली की पढ़ाई नहीं होती है। लेकिन, बांग्ला विषय की होती है। हम बांग्ला या अन्य किसी भाषा का विरोध नहीं करते हैं। लेकिन, मैथिली हमारी मातृभाषा है और उसको सम्मान नहीं मिले तो अंतरात्मा रोती है। मिथिला औऱ मैथिली के विकास के लिए पप्पू सिंह समर्पित है। हम अपनी लड़ाई को अंजाम तक पहुंचा कर ही मानेंगे। मिथिलावासियों को मिथिला मखाना पर बड़ी जीत मुबारक। मिथिलावासियों के संघर्ष को बड़ी सफलता मिली है और मिथिला मखाना के नाम से ही जीआई टैगिग हो इस बात पर बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, भागलपुर ने अपनी सहमति प्रदान कर दी है। यह हम सबके लिए अपार हर्ष का विषय है।